विष्णु भगवान हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं और उन्हें सृष्टि, पालन और संहार करने वाले त्रिदेवों में से एक माना जाता है। त्रिदेवों में ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता), विष्णु (पालनकर्ता), और शिव (संहारकर्ता) शामिल हैं। विष्णु को संसार के पालनहार के रूप में जाना जाता है, जो ब्रह्मांड की रक्षा और संतुलन बनाए रखते हैं।
विष्णु भगवान के प्रमुख स्वरूप और गुण:
- पालनकर्ता: विष्णु भगवान का मुख्य कार्य ब्रह्मांड की रक्षा करना और संसार में धर्म की स्थापना करना है। जब-जब पृथ्वी पर अत्याचार और अधर्म का प्रकोप बढ़ता है, तब-तब भगवान विष्णु विभिन्न अवतार धारण कर अधर्म का नाश करते हैं और धर्म की पुनर्स्थापना करते हैं।
- अवतार: भगवान विष्णु ने समय-समय पर विभिन्न अवतार लिए हैं ताकि वे संसार की रक्षा कर सकें। उनके प्रमुख अवतारों में मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि शामिल हैं। इन अवतारों के माध्यम से उन्होंने पृथ्वी को अनेक संकटों से बचाया।
- शांत और करुणामयी स्वरूप: विष्णु भगवान को एक शांत, करुणामयी और सौम्य देवता के रूप में पूजा जाता है। उनके हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म होते हैं, जो उनके विभिन्न गुणों और शक्तियों का प्रतीक हैं। शंख का ध्वनि ब्रह्मांडीय ध्वनि का प्रतीक है, चक्र समय और न्याय का प्रतीक है, गदा शक्ति का और पद्म पवित्रता और ज्ञान का प्रतीक है।
- वाहन: भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ है, जो एक विशाल पक्षी है। गरुड़ को साहस, बल और गति का प्रतीक माना जाता है। विष्णु का निवास स्थान वैकुंठ कहा जाता है, जो स्वर्ग का एक दिव्य स्थान है।
- लक्ष्मी के संग: विष्णु भगवान की पत्नी माता लक्ष्मी हैं, जो धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी मानी जाती हैं। लक्ष्मी और विष्णु का संग संसार में संतुलन, समृद्धि और सुख-शांति का प्रतीक है।
विष्णु भगवान की पूजा और उनके अवतारों की कहानियाँ हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वे सदैव धर्म, न्याय और सत्य की रक्षा करने वाले देवता के रूप में पूजे जाते हैं।
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